दिल्ली में सब ठीक है, बस कांग्रेस के पास जीत का मनोबल नहीं है!

दिल्ली में कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि सब ठीक है, लेकिन अभी तक कांग्रेस के नेताओं में जीत का मनोबल नहीं दिखाई दे रहा है। कांग्रेस का कोई भी दिल्ली का बड़ नेता विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ना चाहता। शीला दीक्षित के दौर का कांग्रेस का हर नेता बहुत संभलकर चल रहा है।



 

इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन की खामोशी भी पार्टी के नेताओं को परेशान कर रही है। हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर पार्टी के केंद्रीय नेताओं ने दिल्ली में जोरदार चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है।
 

शीला दीक्षित के नजदीकी, उनके कार्यालय में प्रभावी भूमिका में रहे और कांग्रेस पार्टी की केन्द्रीय राजनीति में सक्रिय पवन खेड़ा को भी दिल्ली की स्थिति को लेकर मलाल है। पवन खेड़ा कांग्रेस के प्रवक्ता हैं। उन्हें दिल्ली के विधानसभा चुनाव के लिए बनी छह समितियों में से एक में भी सदस्य बनाने के काबिल नहीं समझा गया।

अरविंदर सिंह लवली का गुट भी बहुत संभलकर चल रहा है। कुल मिलाकर कांग्रेसी अंदरखाने में दिल्ली की 18 विधानसभा सीटों पर पार्टी को जीत की संभावना दिखाई दे रही है। पार्टी का एक धड़ा इसी को फोकस करके चुनाव लड़ने पक्षधर है।

प्रियंका और राहुल के रोड शो से भी बहुत उम्मीद नहीं


कांग्रेस पार्टी के दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको को जितना दिल्ली समझ में आ रही है, उतने वे सक्रिय हैं। पीसी चाको की यह समझ कांग्रेस पार्टी के पुराने नेताओं के आत्मबल को लगातार पस्त कर रही है। पार्टी के वरिष्ठ नेता का कहना है कि पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचवि प्रियंका गांधी दिल्ली में मजबूत कांग्रेस देखना चाहते हैं।

दोनों ने प्रचार अभियान को समय देने का वादा किया है, लेकिन अब लग रहा है कि उनके रोड-शो जैसे प्रयास से भी कुछ खास बदलने वाला नहीं है। इसके सामानांतर पूर्व मुख्यमंत्री शीदा दीक्षित के शुभचिंतकों को पीसी चाको हजम नहीं हो रहे हैं। शीला के पुत्र संदीप दीक्षित को अभी भी काफी मलाल है।

संदीप दीक्षित के गुट के लोगों का कहना है कि पीसी चाको बहुत ही अपरिपक्व नेता की तरह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का भविष्य खराब कर रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे में कांग्रेस दूसरे और आम आम आदमी पार्टी तीसरे नंबर पर थी।

इसका अर्थ है कि दिल्ली में कांग्रेस खड़ी हो रही थी। लोकसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी दिल्ली में कांग्रेस से चुनाव पूर्व का तालमेल चाह रही थी। अब वह मुड़कर देख तक नहीं रही है। कारण साफ है कि पिछले छह महीने में कांग्रेस की स्थिति खराब हुई है।