विरासत संभालने के लिए चुनाव मैदान में हैं कई नेताओं के बेटे-बेटी


नई दिल्ली । परिवारवाद को लेकर राजनीतिक दलों में भले ही कितने भी सियासी दावे किए जाएं, लेकिन हकीकत यही है कि हर चुनाव में नेता अपनी विरासत पुत्र-पुत्रियों को सौंप रहे हैं। नतीजतन पार्टी के लिए वर्षो दरी बिछाने वाले कार्यकर्ता सिर्फ उम्मीद का दामन थामे ही रह जाते हैं। विधानसभा चुनाव में इस बार भी तीनों ही प्रमुख दलों ने दिग्गज नेताओं के पुत्र-पुत्रियों को टिकट देकर अगली पीढ़ी को विरासत सौंपने की ओर कदम बढ़ा दिए हैं।


चुनाव में इस बार कई नेताओं ने अपने परिवार के सदस्यों को टिकट दिलाने में सफलता पाई है। इसमें भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी के भतीजे विक्रम विधूड़ी चुनाव लड़ रहे हैं। रमेश बिधूड़ी तीन बार तुगलकाबाद सीट से विधायक रहे हैं। हालांकि 2015 में आप के उम्मीदवार सहीराम पहलवान ने बड़ा उलटफेर करते हुए इनके भतीजे और बीजेपी उम्मीदवार विक्रम बिधूड़ी को 33,701 वोटों से शिकस्त दी थीदक्षिणी दिल्ली की कालकाजी सीट पर आप ने आतिशी को मैदान में उतारा है। लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली सीट पर इन्हें भाजपा के गौतम गंभीर से करारी शिकस्त मिली थी।


बीजेपी ने उनके सामने धर्मवीर सिंह को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस से सुभाष चोपड़ा की बेटी शिवानी चोपड़ा मैदान में है। 2013 के चुनाव में चोपड़ा इस सीट से हार गए थे। हालांकि, 1998 से 2008 तक सुभाष ही इस सीट से विधायक रहे थे। 2015 में आप के अवतार सिंह यहां जीते थे। आरकेपुरम सीट पर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष योगानंद शास्त्री की बेटी प्रियंका सिंह को कांग्रेस ने टिकट दिया है। हालांकि योगानंद ने हाल ही में कांग्रेस से नाता तोड़ लिया है। 2015 में यहां से आप की प्रमिला टोकस ने जीती थीं। अगली पीढ़ी की इस फेहरिस्त में अगला नाम मुस्तफाबाद विधानसभा सीट का आता है।


मुस्तफाबाद से पूर्व विधायक हसन अहमद के बेटे अली मेहंदी लड़ रहे हैं। अली मेहंदी दिल्ली कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग के प्रमुख हैं। वहीं पश्चिमी जिले की हॉट सीट द्वारका में भी मुकाबला दिलचस्प है। यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता महाबल मिश्र के बेटे विनय मिश्र चुनाव मैदान में हैं, लेकिन वो आप के बैनर तले चुनाव लड़ रहे हैं।


महाबल मिश्र द्वारका सीट से विधायक रह चुके हैं और 2015 में भी इसी सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन जीत नहीं सके थे। पिछली बार यहां से आप के आदर्श शास्त्री जीते थे। बवाना से बीजेपी के रविंद्र कुमार इंद्राज चुनाव लड़ रहे हैं। इनके पिता नरेला से विधायक रह चुके हैं। कांग्रेस में परिवारवाद की लंबी फेहरिस्त है।


कांग्रेस ने अंबेडकर नगर से पूर्व विधायक प्रेम सिंह के बेटे यदुराज सिंह को टिकट दिया हैवहीं नांगलोई जाट से पूर्व विधायक बिजेंद्र सिंह के बेटे मंदीप सिंह को टिकट दिया है। मंदीप सिंह वर्तमान में निगम पार्षद हैं। रोहतास नगर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम बाबू शर्मा के बेटे पूर्व विधायक विपिन शर्मा उम्मीदवार बनाए गए हैं, तो देवली सीट से वरिष्ठ नेता बूटा सिंह के बेटे पूर्व विधायक अरविंदर सिंह को टिकट दिया है।


दिल्ली की त्रिनगर विधानसभा सीट से आप के उम्मीदवार जितेंद्र सिंह तोमर का टिकट काटकर उनकी पत्नी प्रीति तोमर को उम्मीदवार बनाया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने फर्जी डिग्री मामले में जितेंद्र सिंह तोमर को अयोग्य घोषित किया था।


कांग्रेस ने भी कभी बीजेपी के दिग्गज नेता रहे कीर्ति आजाद की पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा है। वे संगम विहार से किस्मत आजमा रही हैं। यहां आप ने विधायक दिनेश मोहनिया पर भरोसा जताया है।